पांच साल के तेमुर मंसूरी ने भी अपना पहला रोजा रखा, जहा बड़ों बड़ों के होंसले पस्त हो जाते हैं वहां तेमुर की हिम्मत को सलाम
5 साल के तेमुर मंसूरी ने भी अपना पहला रोजा रखा, जहा बड़ों बड़ों के होंसले पस्त हो जाते हैं वहां तेमुर की हिम्मत को सलाम
अलीराजपुर बडती गर्मी में इबादत में बच्चे भी नहीं रहे पिछे तेमुर मंसूरी ने पांच वर्ष की उम्र में रोजा रखकर खुदा की बारगाह में इबादत का आगाज़ किया है। रमजान-उल-मुबारक में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखकर अल्लाह की इबादत में मशगूल है। रोजा, नमाज और तरावीह नमाज के साथ कुरआन की तिलावत कर रोजेदार अल्लाह को राजी करने में लगे है। इसी बीच कम उम्र के तेमुर मंसूरी ने भी रोजा रख अल्लाह की इबादत में मशगूल रहा इसी कड़ी में तेमुर ने पहला रोजा रखकर हर किसी को चौंका दिया सुबह जब मम्मी पापा को सेहरी करते तेमुर ने देखा तो मन बना लिया की में भी रोजा रखुगा बस फिर क्या था तेमुर की जिद के आगे मम्मी शबा मंसूरी और पापा उमर फारूक ने रोजा रखने की इजाजत दे दी परिवार के साथ पहले सहरी खाई, उसके बाद रोजे की नीयत कर रोजा रखा। पूरा दिन भूखा-प्यासा रहकर नमाज़ भी अदा की शाम के समय पूरे परिवार के साथ रोजा इफ्तार किया। पांच वर्ष की उम्र में पहला रोजा रखकर तेमुर बेहद खुश है। शाम के वक्त हल्की प्यास का अहसास हुआ, लेकिन उस वक्त मम्मी शबा मंसूरी ने उसका हौसला बढ़ाया और आखिरकार तकरीबन 13 घंटे भुखा प्यासा रहकर तेमुर ने पहला रोजा पुरा कर लिया। सभी ने रोजदार को दुआएं देते हुए परिवार को मुबारकबाद पेश की है। इफ्तार के वक़्त पापा उमर फारूक, मम्मी शबा मंसूरी , व परिवार के सभी सदस्यों ने दुआओ नवाजा।