स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम जनजातीय नायकों के योगदान पर संगोष्ठी
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स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम जनजातीय नायकों के योगदान पर संगोष्ठी
अनुसूचित जनजाति आयोग नई दिल्ली एवं देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के निर्देशानुसार माँ नर्मदा शासकीय महाविद्यालय, सोंडवा जिला-आलीराजपुर में स्वाधीनता के अमृत महोत्सव एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वावधान में *स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों का योगदान* विषय पर दिनांक 23 फरवरी 2023 को एक दिवसीय संगोष्ठी आयोजित की गई।
संगोष्ठी का प्रारंभ अतिथियों द्वारा माता सरस्वती की मूर्ति, जनजातीय नायक धरती आबा बिरसा मुंडा एवं रॉबिनहुड महामानव टंट्या मामा भील की तस्वीर पर माल्यार्पण के साथ किया गया। महाविद्यालय की छात्राएं कु मंजुला सस्तियां एवं रैना सस्तियां ने अपनी सुरीली आवाज में सरस्वती वंदना का गायन किया।
महाविद्यालय के प्राचार्य एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ भूपेन्द्र तिवारी ने अध्यक्षीय एवं स्वागत उद्बोधन देते हुए कार्यक्रम आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
अध्यक्षीय उद्बोधन के बाद महान जननायक कोमुरम भीमुडो पर आधारित जोशीले गीत का प्रर्दशन किया गया।
इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रुप में सम्मिलित श्री अनिल तंवर, रिटायर्ड बैंक प्रबंधक एवं शोधकर्ता ने अपना उद्बोधन दिया श्री तंवर ने बताया की जनजाति जिले अलीराजपुर के सोरवा ग्राम में छीतु किराड़ एक महान स्वतंत्रता संग्राम नायक रहे है। उन्होंने छीतू किराड़ के जीवन चरित् एवं उनके संग्राम में उनके योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने अग्रेजों से सोरवा क्षेत्र में लोहा लिया।
संगोष्ठी में दूसरे वक्ता के रूप में बड़वानी जिले के राजपुर के शासकीय महाविद्यालय के जनभागीदारी अध्यक्ष एवं युवा सामाजिक कार्यकर्ता श्री प्रीतमराज बड़ोले सम्मिलित हुए। उन्होंने अपने वक्तव्य में इस कार्यक्रम के आयोजन के पूर्व घटनाओं जैसे नई दिल्ली में अखिल भारतीय शिक्षाविदों के समागम एवं महामहिम राष्ट्रपति के उनकी मुलाकात का जिक्र किया।
उहोंने 1780-85 में हुए पहाड़िया आंदोलन एवं तिलका मांझी के संघर्ष की जानकारी विद्यार्थियों को प्रदान की। बड़ोले जी ने सिद्धु – कान्हो, चाँद-भैरव के संघर्ष से अवगत कराया। संथाल आंदोलन में हुए 30 हजार आदिवासियों का अंग्रेजो द्वारा किए गए नरसंहार के बारे में जानकारी विधार्थियों को दी। साथ ही उन्होंने भीमा नायक, खाज्या नायक एवं बिरजू नायक के संघर्ष के अनछुए पहलुओं से में विद्यार्थियों को अवगत कराया।
मानगढ़ धाम नरसंहार, पूर्वोत्तर राज्यों के संघर्ष एवं गुरु गोविंद सिंह जी की संघर्ष गाथाओं की जानकारी विद्यार्थियों को प्रदान की। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया की जनजातीय समाज के गौरवशाली इतिहास के विषय में अपने समाज को अवगत करावे।
कादूसिंह जी डुडवे, सामाजिक कार्यकर्ता ने विद्यार्थियों को समाज, अपने गांव, देश हित के कार्य करने का आह्वान करते हुए रक्तदान, नशा मुक्ति, वृक्षारोपण करने जैसे कार्य करने का संदेश दिया व जनजातीय ब्रांड विकसित करने की बात कही।
महाविद्यालय की एनएसएस स्वयंसेवक छात्र इगरीया सोलंकी एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की कु.रंजिला जमरा ने भी आदिवासी महापुरुषों पर अपने विचार व्यक्त किए।
उक्त संगोष्ठी में क्षेत्र सामाजिक कार्यकर्ता श्री विजय जी जोकटिया, श्री गोविंद जी भयडिया, एनएसएस स्वयंसेवक, महाविद्यालय के विद्यार्थी, एवं महाविद्यालय के प्राध्यापक , कर्मचारी सम्मिलित हुए।
उपरोक्त संगोष्ठी का संचालन प्रो. तबस्सुम कुरैशी ने किया व आभार डॉ मुकेश अजनार ने माना। कार्यक्रम में डॉ विशाल देवड़ा, श्री मोहन कुमार डोडवे एवं समस्त स्टॉफ का सहयोग रहा।
उक्त जानकारी कार्यक्रम के संयोजक डॉ.मुकेश अजनार एवं प्रो सायसिंग अवास्या ने प्रदान की।