भारतिय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व प्रथम शिक्षा मंत्री भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद की यौमे विलादत शुक्रवार को बस स्टैंड आजाद भवन केंपस पर खिराज ए अकीदत पेश की गई।
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भारतिय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व प्रथम शिक्षा मंत्री भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद की यौमे विलादत शुक्रवार को बस स्टैंड आजाद भवन केंपस पर खिराज ए अकीदत पेश की गई।
मुस्लिम महासभा प्रदेश उपाध्यक्ष जहीर मुगल ने अपने संबोधन मे उनके कार्यों पर रोशनी डालते हुए कहा UGC, IIT और जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना की मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने 15 अगस्त, 1947 से 2 फरवरी, 1958 तक शिक्षा मंत्री के रूप में देश की सेवा की. वह एक महान शिक्षाविद् थे और उन्होंने भारत की शिक्षा प्रणाली को नया रूप देने और उसे नया रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मौलाना आजाद ने एक स्वतंत्रता सेनानी और एक शिक्षाविद के रूप में काम किया. उनका मानना था कि देश के विकास में सबसे बड़ी बाधा अशिक्षा है. यही कारण है कि उन्होंने अशिक्षा को खत्म करने की दिशा में काम किया.
मुस्लिम महासभा जिला अध्यक्ष इमरान मेवाती ने अपने संबोधन में कहा आजाद ने बहुत ही कम उम्र में अपना पत्रकारीय जीवन शुरू कर दिया था. साल 1899 में 11 साल की उम्र में उन्होंने कलकत्ता में एक काव्य पत्रिका नायरंग-ए-आलम का प्रकाशन शुरू किया और 1900 में पहले से ही एक साप्ताहिक अल-मिस्बाह के संपादक थे. 1908 में, उन्होंने मिस्र, सीरिया, तुर्की और फ्रांस की यात्रा की, जहां वह कमल मुस्तफा पाशा के अनुयायी, यंग तुर्क मूवमेंट के सदस्य और ईरानी क्रांतिकारियों जैसे कई क्रांतिकारियों के संपर्क में आए. आज़ाद ने उस समय के अधिकांश मुसलमानों के लिए कट्टरपंथी माने जाने वाले राजनीतिक विचारों को विकसित किया और एक पूर्ण भारतीय राष्ट्रवादी बन गए।
इस मौके पर वरिष्ठ समाजसेवी सलाउद्दीन नवाबी बच्चू भाई सहारा हाजी तारिक मंसूरी जिला उपाध्यक्ष तबरेज कुरेशी नगर उपाध्यक्ष मोहसिन कुरेशी नगर सचिव शाहरुख मनिहार समीर मकरानी आदिल रंगरेज रईस मकरानी सलामुद्दीन शेख शाहनवाज टीचू राजू पठान आदि उपस्थित रहे।