पाच साल की अरीबा आकीब कुरैशी ने अपनी जिन्दगी का पहला रोजा रखा, देश मे अमन-चैन की दुआ कर इबादत की।
पाच साल की अरीबा आकीब कुरैशी ने अपनी जिन्दगी का पहला रोजा रखा, देश मे अमन-चैन की दुआ कर इबादत की।
अलीराजपुर माहे रमजान का पहला असरा खत्म हो रहा है दस रोजे मुकम्मल हो चुके है रमजान के इस पवित्र माह मे मुस्लिम समुदाय के हर बालीग पर रोजा रखना फर्ज है मगर बच्चो को बालिग होने तक की छूट मिली है फिर भी बच्चो मे इस्लाम और दिन के प्रति लगाव के साथ साथ हौसले भी बुलंद है इसी कडी मे दसवा रोजा रखकर पाच साल की अरीबा कुरैशी पिता आकीब कुरैशी ने रमजान का पहला रोजा रखा। पहले रोज़ा रखने के चलते परिजनों ने मगरिब नमाज़ के टाईम अरीबा कुरैशी को प्यार दुलार दिया और 6.46 बजे जैसे ही मगरीब की अजान हुई रोज़ा खोला। रोजा खोलने के पहले अरीबा का फूल माला पहनाकर इस्तकबाल किया। वही दादा सलीम कुरैशी, दादी साईदा कुरैशी , बड़े पापा मोहशीन कुरैशी, जुनेद कुरैशी सहित परिजनो ने पहला रोज़ा रखने पर मिठाई खिलाकर होंसला अफजाई की।
आपको बता दे अरीबा कुरैशी ने अपनी अम्मी आयशा कुरैशी से रोजा रखने की जीद की अम्मी ने आयशा ने उसे रोजा रखने की इजाजत दे दी जिसके बाद अरीबा ने 14 घंटे तक लगातार भुखा प्यासा रह कर रोजा पुरा किया जब की इतने लंबे अंतराल मे रोजा रखने से बडे बडो की हालत खराब हो जाती ऐसे मे इस नन्हे रोजेदार ने यह बता दिया की हौसले बुलंद हो तो कोई काम मुस्किल नही है।