यूनिफॉर्म सिविल कोड एवं सिंधी जिले में आदिवासी युवक के ऊपर पेशाब करने के विरोध में आदिवासी समाज द्वारा तहसीलदार महोदय जोबट को ज्ञापन सोपा।

यूनिफॉर्म सिविल कोड एवं सिंधी जिले में आदिवासी युवक के ऊपर पेशाब करने के विरोध में आदिवासी समाज द्वारा तहसीलदार महोदय जोबट को ज्ञापन सोपा।

जिला पंचायत सदस्य रिंकू बाबा डावर एवं ठाकुर अजनार ने हामहिम राज्यपाल एवं माननीय मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर सीधी मामले में तत्काल राहत राशि स्वीकृत करने की मांग की

 अलीराजपुर/जोबट:- अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यलय जोबट में आदिवासी समाज के लोग एकत्रित होकर,जहाँ पर यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिग संहिता) के विरोध में महामहिम राष्ट्रपति और विधि आयोग के नाम ज्ञापन सौंपा गया, साथ ही जिला पंचायत सदस्य श्रीमती रिंकुबाला -लालसिंह डावर के दुवारा अपने लेटर पेड़ के माध्यम से यूनिफार्म सिविल कोड एवं सीधी जिले में एक आदिवासी युवक पर प्रवेश शुक्ला के नाम के व्यक्ति द्वारा पेशाब करने के विरोध में एक साथ ज्ञापन सौपा गया है।

 जिसमें बडी संख्या में जनप्रतिनिधि,अधिकारी-कर्मचारी,किसान, मजदूर, छात्र तथा युवा साथी गण शामिल हुये। ज्ञापन के माध्यम से विधि आयोग से अनुरोध किया गया है कि आदिवासी के हितों को ध्यान में रखते हुए उनकी सुरक्षा,संरक्षण, पहचान और अधिकार बचाये रखने के लिए समान नागरिक संहिता आदिवासी समुदाय पर लागु नहीं किया जाए।

    आदिवासी की अपनी अलग ही रीति-रिवाज, परम्परा, संस्कृति और अधिकार हैं।कॉस्टमरी लॉ अनुच्छेद-13(3),पांचवी अनुसूचित-244 (1)(2), अनुच्छेद-19 (5)(6) तथा विवाह, तलाक, संपत्ति उत्तराधिकारी, दत्तक औऱ लोकप्रतिनिधि आरक्षण ,न्यायिक फैसले समता जजमेंट 1997,वेदांत जजमेंट 2013 आदि पर समान नागरिक संहिता लागु होना संवैधानिक अवहेलना हैं।

जिम्मेदर जनप्रतिनिधियों ने विरोध दर्ज कराते हुए कहा

       जिला पंचायत सदस्य-ठाकुर अजनार ने विरोध दर्ज करते हुए कहा-ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में मिले आदिवासी संवैधानिक अधिकार के लिये समान नागरिक संहिता लागु करना न्याय संगत नहीं होगा।

  जिला पंचायत सदस्य-श्रीमती रिंकुबाला-लालसिंह डावर ने कहा कि भारत देश में विविधता में एकता वाला देश हैं। गारो,खासी जैसे जनजाति मातृसत्तात्मक व मातृवंशीय हैं।कॉस्टमरी लॉ, दापा-देजा वधूमूल्य ने आदिवासी समाज की महिलाओं की प्रतिष्ठा बढाई,परिणामस्वरूप आदिवासी समाज मे महिला लिंगानुपात सर्वाधिक हैं।

सीधी मामले में पीड़ित को अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत तत्काल राहत राशि स्वीकृत कर भुगतान करने की मांग की गई

 

   श्रीमती रिंकुबाला ने कहा वर्तमान में मध्यप्रदेश सरकार में आदिवासियों पर अत्याचार इतने बढ़ गए। जहाँ बहन बेटियों के साथ मासूम बच्चियां तक सुरक्षित नही है। आरजकता का माहौल है। किसान ,मजदूर कर्मचारी सब डरे सहमे है। सरकार प्रवेश सुकला पर कठोर दण्डात्मक कार्यवाही करें। ताकि भविष्य में ऐसी घटना की दुबारा किसी भी जाति वर्ग के व्यक्ति के साथ पूर्णवर्ती न हो ऒर आदिवासी पीड़ित युवक दसमत रावत को अनुसूचित जाती/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत एवं आखाद्यय ,घृणात्मक पदार्थ पिलाने ,अनादर सूचक कार्य अधिनियम की धारा 3(1), क्षति पहुंचाने अपमानित करने की अधिनियम की धारा 3,एवं अधिनियम कीअनुसूचि (नियम 12(4)अनुसार) उचित राहत राशि को तत्काल स्वीकृत कर भुगतान करने की कार्यवाही करें। इस अवसर पर,प्रदीप डुडवे, मोतेसिंह भूरिया,सुनील मोरे, विक्रम चौहान मुकेश,बबलु,बिसन चौहान चौहान,छात्र,कांति

बघेल,रवि अजनार, सुनील मनलाई,जिग्नेश चौहान,संदीप चौहान,जगना सोलंकी, गमसम भिंडे,के साथ जयस, आकास, आदिवासी संगठन छात्र, 

 आदिवासी एकता परिषद आदि संगठन के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में ज्ञापन सौंपा गया है, ज्ञापन का वाचन-शंकरसिंह गुथरिया ने किया।

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