डिलेवरी के लिए किया इंदौर रेफर,रास्ते 108 के EMT व पायलेट ने कराई नोर्मल डिलेवरी

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डिलेवरी के लिए किया इंदौर रेफर,रास्ते 108 के EMT व पायलेट ने कराई नोर्मल डिलेवरी

 

जिला अस्पताल की लापरवाही से जा सकती थी जान,पूर्व में भी एक महिला की कराया था प्रसव, कबतक होता रहेगा खिलवाड़

अलीराजपुर-जिला चिकित्सालय से एक और लापरवाही उज़ागर हुई है अलीराजपुर सरकारी अस्पताल में डिलेवरी के लिए एन सी महिला को परिजन लेकर पहुंचे मगर वहां डाक्टरों द्वारा क्रिरटीकल कंडीशन बताकर लीला पति विजेश निवासी खाडा फलिया खड़खड़ी अलीराजपुर को सीजर से डिलेवरी कराने की बात कहकर महाराजा यशवंत शासकीय अस्पताल MY इंदौर के लिए रेफर किया परन्तु उक्त महिला को रास्ते मे दर्द बढ़ने लगा दर्द से तड़प रही महिला की डिलेवरी कुछ ही समय में 108 के स्टाप द्वारा नोर्मल कराई गयी। बड़ा सवाल क्या डाक्टर ने सही से चेक नहीं किया क्यों की स्पेशलिस्ट की मानें तो डिलेवरी कबतक होना संभव है इतना तो डाक्टर क्या नर्स भी बता सकती है यदि सही तरीके से चेकअप किया जाए तो स्थिति क्लियर है लापरवाही तो हुई है अब देखना है स्वास्थ्य विभाग या जिला प्रशासन कोई एक्शन लेता है या फिर ऐसे ही भोले भाले ग्रामीणों की जान के साथ ऐसे ही खिलवाड़ होता रहेगा।

 आपको बता दें लगभग ढेड माह पहले सोरवा के पास ग्राम अंधारकाच में कुँए में दबने से 21 दिन बाद युवक की मौत हुई थी उक्त व्यक्ति को कही दिनो तक अलीराजपुर में भर्ती रखा जब उसकी हालत बिगड़ी तो बडौदा रेफर किया गया जहाँ उसकी मृत्यु हो गयी थी।अब सवाल यह उठता है कि जब नॉर्मल डिलेवरी संभव थी तो इंदौर रेफर करने की जरूरत ही क्या थी। जब 108 एम्बुलेंस के पायलट व EMT द्वारा सुरक्षित डिलेवरी करने में सफल हुए तो जिला चिकित्सालय के डॉक्टर क्यों नही कर पाए। आये दिन खबरों के माध्यम से हमे जानकारी मिलती रहती है की एम्बुलेंस में महिला ने जन्म दिया यह तो गनीमत की EMT बलार किराड़ और पायलेट नरेंद्र बघेल की सूझ बुझ से जच्चा बच्चा सुरक्षित है जब एक ड्राइवर डिलेवरी कराई सकता है तो डाक्टर क्यों नहीं बड़ा सवाल।

आखिर कब सुधरेगी स्वास्थ सुविधा

अलीराजपुर को जिला बने पन्द्रह साल बीत गए लेकिन जिले में स्वास्थ सुविधाओं की बात करे तो आये दिन मरीज़ो व उनके परिजनों को परेशान होना पड़ता है जिला अस्पताल में आधुनिक मशीने तो उपलब्ध है पर स्पेशलिस्ट डॉक्टर का आभाव है ऐसे में प्रसव,ह्रदय रोग,हड्डी फेक्चर ऑपरेशन जैसे बहुत सी बीमारियों के लिए दाहोद बड़ोदा जाना पड़ता है। सक्षम व्यक्ति तो निजी अस्पताल में अपना इलाज करवा लेता है लेकिन अलीराजपुर जिले में 97% जनसंख्या अनुसूचित जनजाति की है ।आर्थिक स्थिति खराब होने से वह निजी अस्पताल में जा नही पाते है जिसके चलते कई लोगो ने अपनी जान भी गवा दी हालांकि भारत सरकार द्वारा आयुष्मान भारत के तहद पांच लाख तक का इलाज सरकार की तरफ से है लेकिन वह सुविधा हर निजी अस्पताल में नही है। पिछले कई वर्षों से अलीराजपुर स्वास्थ सेवाओ के लिए झूझ रहा है जबकि अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों द्वारा भी कहीं बार निरीक्षण होता है मगर कार्यवाही नहीं बस खाना फुर्ती की जाती है इस और गम्भीरता से ध्यान नही दिया गया तो हालात सुधरने की बजाय बिगड़ने की संभावना है।

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